भारतलीक्स,आगरा:- आधुनिक तकनीकों के युग मे समूचा आगरा पिछले 10 दिनों से प्यासा बैठा हुआ है। शहर में लंबे समय से बैराज बनाने की माँग चल रही है। दो बार जल निगम ने बैराज ववृत का गठन कर लम्वे समय तक स्टाफ भी तैनात रखा फिर बैराज बने बिना ही वृत को विघटित कर दिया गया। अनेक दफा डीपीआर ( डिटेल्स प्रोजेक्ट रिपोर्ट ) भी बनी किंतु हर बार आपत्ति के चलते रिपोर्ट खारिज कर दी गई। इस वर्ष और पिछले वर्षों में वर्षा अच्छी खासी हुई है। किंतु वर्षा का सारा जल संचयित हुए बिना यूँ ही समुंदर में बहकर चला गया। यदि बैराज बनाकर वर्षा के जल को संचय किया जाता तो आगरा व अन्य जिलों में कृषि, सिंचाई व औद्योगिक आवश्यकता को पूरा करने के काम आता और शहर के लोग यूँ प्यासे न बैठे होते।
नगर निगम टैंकरों से कर रहा पानी की सप्लाई
शहर में पानी की अकाल पड़ा हुआ है। पिछले 10 दिनों में पानी की एक बूंद नलों से नही टपकी है। मोटर चलाकर चलाकर लोग थक चुके हैं। इस साल में यह तीसरी बार ऐसा हो रहा है कि शहर में पानी की भारी किल्लत का सामना कर रहा है। जलापूर्ति करने के लिए नगर निगम द्वारा पानी के टैंकरों से सप्लाई करी जा रही है। ऐसे में पानी के प्राइवेट टैंकर वालो की जमकर पौ-बारह हो रखी है। एक ड्रम भरने के लिए 40 रुपये तक लिए जा रहे हैं। एक बाल्टी पानी ले लिए 10 रुपये कर दिए हैं। एल तरह शहर की जनता पानी के अकाल से जूझ रही है तो दूसरी तरफ जेब ढीली करके पानी मोल खरीदना पड़ रहा है।
आखिर कब होगी पानी की समस्या शहर से दूर या सिर्फ पीठ थपथपाने और पदक मिलने तक ही आगरा शहर स्मार्ट सिटी रहेगा। शहर की इस भीषण समस्या का समाधान कब होगा हर कोई इस बात का जवाब जानना चाहता है।