मृत्यु के दो साल बाद मृतक के खिलाफ पुलिस ने दर्ज की एफ आई आर विवेचक ने लिए मृतक के बयान और लगा दी चार्जशीट
भारतलीक्स,आगरा:- आगरा पुलिस का एक अजब गजब कारनामा सामने आया है। 2016 में जिस व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी थी 2018 में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया और मुकदमा दर्ज होने के एक साल बाद जहां उस मृतक के बयान विवेचक द्वारा दर्ज किए गए वही नोटिस को भी मृतक द्वारा साइन करना दिखाया गया है। विवेचक ने मृतक और एक अन्य को आरोपी बताते हुए चार्जशीट लगा दी। पीड़ित अन्य व्यक्ति मंगल सिंह की शिकायत पर स्थानीय न्यायालय के आदेश पर मुकदमे से जुड़े चार विवेचकों सहित फाइनेंस कंपनी के मैनेजर के खिलाफ गंभीर धाराओं में थाना हरिपर्वत में मुकदमा दर्ज किया गया है।
दरअसल प्रताप पुत्र श्यामलाल नि० कैलाश आगरा ने श्री राम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी लिमिटेड एम जी रोड शाखा से 143381/- रू का फाइनेंस कराया था। इस लोन एग्रीमेंट में मंगल सिह पुत्र श्री गिर्राज सिह नि० दयानन्द नगर दयालबाग ने बतौर बतौर गारंटर हस्ताक्षर किये थे। किश्त न चुका पाने के कारण फाइनेंस कंपनी ने 26 अगस्त 2018 की एक घटना बताते हुए स्थानीय न्यायालय के आदेश पर थाना हरिपर्वत में प्रताप सिंह और मंगल सिंह पर धोखाधड़ी सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमा लिखाया ।
उक्त मुकदमे की विवेचना मनीष कुमार, राजीव तौमर, राकेश कुमार, अमित प्रसाद को दी गई की गयी। पीड़ित मंगल सिंह का आरोप है कि विवेचकों द्वारा उक्त मुकदमे में मुल्जिम के बारे में कोई जानकारी नहीं की गयी क्योंकि मुकदमे में 26 अगस्त 2018 में प्रताप सिंह के साथ विवाद होना दिखाया गया है जबकि प्रताप सिंह की मृत्यु लगभग दो वर्ष पूर्व ही 12 सितंबर 2016 में हो चुकी थी। पीड़ित ने बताया कि केस डायरी के पर्चा सं0-5 में मृतक दर्ज कराने लगे बयान करने लगे नोटिस पर साइन वादी श्री राम फाइनेंस के शाखा प्रबन्धक नवीन गौतम का व्यान लिया गया जिसमें उन्होंने घटना का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि विवेचकों की घोर लापरवाही का खुलासा इस बात से हो जाता है कि केस डायरी के पर्चा नं0-12 में दिनांकित 25/12/2019 को मृतक प्रताप सिंह का व्यान अंकित किया गया है तथा धारा 41 (1) ए वी सीआरपीसी के नोटिस विवेचक अमित प्रसाद द्वारा दस्तखत कराये गये हैं तथा तामीला दिखाया गया प्रताप सिंह की मृत्यु दिनांक 12.09.2016 को हो चुकी है तथा दिनांक 28.09.2016 को 30प्र0 सरकार द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया है ।
पीड़ित मंगल सिंह का आरोप है कि प्रताप की मृत्यु के बाद वादी द्वारा मनगढ़न्त कहानी बनाकर असत्य घटना दिखाकर मुकदमा दर्ज कराया गया। वही विभिन्न विवेचकों द्वारा दौरान विवेचना घोर लापरवाही, अपने निजी स्वार्थो वश झूठा आरोप पत्र दाखिल किया गया है, जो न्यायालय आगरा में विचाराधीन है। इस आरोप पत्र में विवेचक अमित प्रसाद दवारा धारा-41 (1) (ए) (बी) सीआरपीसी का नोटिस हस्ताक्षर कराकर चार्जशीट में दाखिल किया है जिससे यह साफ प्रतीत होता है कि विवेचक द्वारा या वादी द्वारा स्वयं प्रताप के फर्जी हस्ताक्षर बनाये गये।
पीड़ित का आरोप है कि लगातार पुलिस अधिकारियों के पास चक्कर लगाने के बावजूद मुकदमा नहीं लिखा गया तब हारकर न्यायालय की शरण ली है। जिसके बाद स्थानीय न्यायालय के आदेश पर चारों विवेचकों और फाइनेंस कंपनी के मैनेजर के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया ।