भारतलीक्स,आगरा:- आगरा की एसीपी सुकन्या शर्मा ने महिलाओ की सुरक्षा जाँचने के लिए जो किया वह सराहनीय है। खुद सादा कपड़ो में ऑटो में बैठकर शहर के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा किया। साथ ही उन मार्गो पर भी वह गईं जहाँ महिलाओ और युवतियों के साथ सबसे ज्यादा छेड़छाड़ जैसे संगीन अपराध होते हैं।
खुद को असहाय और मजूबर महिला के तौर पर उन्होंने डायल 112 के कंट्रोल रूम पर मदद के लिए फ़ोन किया। उन्होंने कहा कि ‘मैं सुनसान सड़क पर अकेली खड़ी हूँ मुझे डर लग रहा है’
कंट्रोल रूम:- आपके आसपास कौन है ।
एसीपी:- कोई नहीं ।
कंट्रोल रूम:- आपको जाना कहाँ है ।
एसीपी:- मुझे आगरा कैंट जाना है ।
कंट्रोल रूम:- ठीक है आप इंतज़ार करिए मदद पहुँच रही है मगर आपको किराए का चार्ज देना होगा ।
एसीपी:- हाँ उसकी कोई दिक्कत नहीं है।
एसीपी सुकन्या शर्मा और कंट्रोल रूम के बीच हुई बातचीत के 15 मिनट बाद ही मदद के लिए पीआरवी की गाड़ी पहुँच जाती है। उनके पहुँचने के बाद पता चला कि यह कोई आम युवती नही आहरा की एसीपी सुकन्या शर्मा हैं।
आगरा में रात 10 बजे के बाद लड़कियों की पुलिस कर रही मदद
दरअसल, आगरा में वूमेन सेफ जोन बनाए जाने हैं। पुलिस कमिश्नर रविंद्र जे. रविंद्र गौड़ ने गाइडलाइन जारी की है। अगर रात 10 से सुबह 6 बजे तक किसी भी महिला को जरूरत पड़ेगी। घर तक जाने के लिए उसे वाहन नहीं मिल रहा। या अपने घर से स्टेशन या बस अड्डे जाना है, तो वह 112 कंट्रोल रूम में फोन करके अपने लिए वाहन की मांग कर सकती है। पुलिस वाहन की व्यवस्था कराएगी। महिला या युवती को अपनी मंजिल तक पहुंचने का किराया देना होगा। सिक्योरिटी का काम पुलिस देख लेगी।
1.30 बजे ऑटो में घूमीं, ड्राइवर से समझा, क्या आती हैं दिक्कतें
इस गाइडलाइन के बाद शुक्रवार रात करीब 11.30 बजे ACP सुकन्या शर्मा ने एक ऑटो किया। इस दौरान वह सादे कपड़ों में थीं। आगरा कैंट से पुलिस लाइन तक 1.30 घंटे का सफर किया। रास्ते में वह लगातार ऑटो के ड्राइवर से सवाल करती रहीं। ताकि रात के वक्त महिलाओं को होने वाली दिक्कत समझी जा सकें। जिस ऑटो में वह बैठी थीं, उसका पुलिस वैरिफिकेशन हुआ है या नहीं, यह भी उन्होंने जांचा।
ऑटो ड्राइवर से किए यह सवाल…
• कितनी महिलाएं ऑटो में बैठती हैं?
• क्या ध्यान रखते हो?
• वर्दी क्यों नहीं पहने हो?
• नेम प्लेट लगानी होती है, क्यों नहीं लगाई?
100 ऑटो किए गए हैं वैरिफिकेशन
आगरा कैंट और आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन पर 100 ऑटो सत्यापित किए गए हैं। यह ऑटो वूमेन सेफ्टी मिशन का हिस्सा हैं। इन ऑटो के ड्राइवरों को खास वर्दी पहनने के लिए कहा गया है। उन्हें नेम प्लेट लगानी है। पुलिस के पास इन 100 ऑटो ड्राइवर्स का पूरा रिकॉर्ड है। जिससे जरूरत पड़ने पर पुलिस उनसे पूछताछ कर सके।