टॉलरेंस नीति के तहत निदेशक(उच्च शिक्षा) यू.पी.प्रयाराज के संज्ञान में लिये जाने के सर्वथा उपयुक्त हैं :-दयालबाग डीम्ड विश्वविद्यालय प्रशासन

Press Release

भारतलीक्स,आगरा:- दयालबाग मानद विश्वविद्यालय (Deemed University शिक्षा क्षेत्र में योगदान की गौरवमयी परंपरा रही है,यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के निर्देशों को इसके द्वारा गंभीरता से लिया जाता है।उम्मीद थी कि केन्द्र सरकार की नई शिक्षा नीति को प्रभावी बनाये जाने में इसकी अधिक सक्रिय भूमिका रहेगी किंतु विश्वविद्यालय के कामकाज का जो तरीका है, उससे लगता है उसने अपने को डीम्ड विश्विद्यालयों के लिये निर्धारित नीतियों और निर्देशों से अलग मान, अपने तौर तरीके अपना रखे हैं।

हो सकता है कि उसके द्वारा अपनाये जा रहे तरीके व नीतियां सही और निदेशक, (उच्च शिक्षा) यू.पी.प्रयागराज के संज्ञान में हों। अगर ऐसा है तो सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा की अपेक्षा है कि उसके द्वारा उठाये गये मुद्दों के अपनी जानकारी में होने की निदेशक महोदय आधिकारिक तौर पर पुष्टि करें,जिससे कि अन्य उच्च शिक्षण संस्थान भी दयालबाग डीम्ड विश्विद्यालय के द्वरा अपनाये जा रहे तौर तरीको को स्वयं भी अपना सकें।

हम मानते हैं कि हो सकता है कि डीम्ड वि वि की तमाम प्रशासनिक गतविद्यां सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के द्वारा उठाये जाने से पूर्व अब तक उनके संज्ञान में नहीं हों, इस स्थिति में उनसे अपेक्षा है कि निदेशक (उच्च शिक्षा) क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी आगरा के माध्यम से हमारे द्वारा उठाये गये मुद्दों के बारे में जानकारी तलब करें।

‘उ प्र में जीरो टॉलरेंस ‘ नीति है,उपरोक्त को दृष्टिगत संज्ञान में लाये गये तथ्य सर्वथा विचारणीय हैं। भारत सरकार की नई शिक्षा नीति को जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन के लिये भी विश्विवद्यालयों और महाविद्यालयों से यू जी सी के द्वारा निर्धारित मानको को प्रभावी बनाया जाना जरूरी मानते हैं।

जीरो टॉलरेंस नीति के तहत निदेशक(उच्च शिक्षा) यू.पी.प्रयाराज के संज्ञान में लिये जाने के सर्वथा उपयुक्त हैं :-

–सरकार से 100 करोड़ से ज्यादा अनुदान प्राप्त करने दयालबाग डीम्ड विश्वविद्यालय प्रशासन जमकर मनमानी कर रहा है।
–नियमानुसार विश्वविद्यालय को प्रेसिडेंट अलग होना चाहिए पर नहीं है। कुलसचिव व कोषाध्यक्ष की अधिकतम आयु 62 साल व सैलरीड होनी चाहिए, पर यहां एक 62 और दूसरा 77 साल के अधिकारियों को अवैतनिक रखा हुआ है ।
–13 अगस्त 2023 को निदेशक का कार्यकाल समाप्त होने के पश्चात, यूजीसी की नई नियमावली के अनुसार दयालबाग विश्वविद्यालय में सरकार को नया निदेशक नियुक्त करना था और तब तक सीनीयर प्रोफेसर को कार्यवाही निदेशक नियुक्त करना था। परन्तु नियमों के विपरीत एक जूनियर प्रोफेसर निदेशक बनाया हुआ है।
–डीम्ड विश्विद्यालय के द्वारा नॉन डिग्री कोर्स, ऑफ कैम्पस कोर्स नही चलाये जा सकते,लेकिन विश्विद्यालय के द्वारा इस संबंध में नियमों को पूरी तरह से अनदेखा कर रखा गया है। निदेशक (उच्च शिक्षा ) से उपरोक्त का रिव्यू अपेक्षित है।
–सौ करोड का अनुदान शिक्षण संस्थान को दिया जाना भारत सरकार की उदार शिक्षा नीति का परिणाम है,सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा की अपेक्ष है कि यह राशि दो सौ करोड कर दी जाये किंतु इस अनुदान की राशि का सदुपयोग भी सुनिश्चित किया जाना जरूरी है।यह तभी संभव है,जब कि कोई अधिकार संपन्न अधिकारी/राजपत्रित विश्वि विद्यालय प्रशासन से संबद्ध किया जाये।
वर्तमान स्थिति यह है कि न तो कोई सरकारी अधिकारी विश्विद्यालय प्रशासन से संबद्ध है साथ ही कुलसचिव व कोषाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद ओवर एज व अवैतनिक महानुभाव के द्वारा सुशोभित किए हुए हैं।
–उपयुक्त होगा कि यूजीसी की नई नियमावली के अनुसार दयालबाग विश्वविद्यालय में सरकार को नया निदेशक नियुक्त करना है,वर्तमान में यह पद रिक्त है ।

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